White फिर भूलने को तुझे एक जुगत बैठाई थी चंद मोहरो | हिंदी Shayari Vid

"White फिर भूलने को तुझे एक जुगत बैठाई थी चंद मोहरों की हसीना घर ले आयी थी बैठी थी रौशनी में दस्तरस मुझे होने को  और मैंने चुपके से रौशनी बुझाई थी कोई बादाकश ना कह पुकार दे मुझको मैंने इसलिए उसको चादर ओढ़ाई थी बन्द शीशे के पीछे से वो देखती थी मुझको बुज़दिल है क्या तू वो ज़ोर से चिल्लाई थी प्यार से बहुत उसे  गोद मे रखा मैंने  खुलते साथ ही वो गोशे को महकाई थी यूँ के कुछ सोचा फिर बन्द कर दिया मैंने वही काफी है जो तूने आँखों से पिलाई थी ©गौरव आनन्द श्रीवास्तव "

White फिर भूलने को तुझे एक जुगत बैठाई थी चंद मोहरों की हसीना घर ले आयी थी बैठी थी रौशनी में दस्तरस मुझे होने को  और मैंने चुपके से रौशनी बुझाई थी कोई बादाकश ना कह पुकार दे मुझको मैंने इसलिए उसको चादर ओढ़ाई थी बन्द शीशे के पीछे से वो देखती थी मुझको बुज़दिल है क्या तू वो ज़ोर से चिल्लाई थी प्यार से बहुत उसे  गोद मे रखा मैंने  खुलते साथ ही वो गोशे को महकाई थी यूँ के कुछ सोचा फिर बन्द कर दिया मैंने वही काफी है जो तूने आँखों से पिलाई थी ©गौरव आनन्द श्रीवास्तव

#hindi_poem_appreciation #Hindi #urdu #shayri कर्म गोरखपुरिया @Kumar Shaurya @Sircastic Saurabh **Dipa** S @Kajal jha (kaju) ख्वाहिश___... अब्र (Abr) नीर

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