रुक जा ज़रा, ऐ दिल-ऐ-नादान
सच है मेरे अल्फाज़-ऐ-बखान
वो चांद सी स्वेता मेरी चाहत है
तू मांग उसे दुआ-ऐ-अजान में
रुक जा ज़रा, ऐ दिल-ऐ-नादान
वाकीफ हैं उसके हर अंदाज़ से
राहत हैं वो मेरे थके सांज की, तू
पलके ना झपका उर्फ़-ऐ-जहान
रुक जा ज़रा, ऐ दिल-ऐ-नादान
रंग बिखेर दिए उसकी हंसी ने
देख तो सही कानों की बालियां
तू मान या ना मान पर तेरा दिल
चुरा लिया।
Naresh_ke_lafz
©Naresh K Chouhan
#thelunarcycle