राम तुझ में भी हैंऔर मुझ में भी! राम जीवन भी हैं | हिंदी कविता

"राम तुझ में भी हैंऔर मुझ में भी! राम जीवन भी हैं और मुक्ति भी !राम आज भी हैं और कल भी !राम आदि भी हैंऔर अंत भी! ©Ashish Kumar"

 राम तुझ में भी हैंऔर मुझ में भी! 
राम जीवन भी हैं  और मुक्ति भी !राम आज भी हैं और कल भी  !राम आदि भी हैंऔर अंत भी!

©Ashish Kumar

राम तुझ में भी हैंऔर मुझ में भी! राम जीवन भी हैं और मुक्ति भी !राम आज भी हैं और कल भी !राम आदि भी हैंऔर अंत भी! ©Ashish Kumar

# दर्द- ए -दिल

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