मैं रात भर चलता रहा घोर अंधेरे में कई बार गिरा फ | हिंदी कविता Video

"मैं रात भर चलता रहा घोर अंधेरे में कई बार गिरा फिर संभलता रहा लगा के उम्मीद सवैरे में कहीं दूर दिखी वो रोशनी मैं चलता रहा उसी ओर सोचा था मिलूंगा रोशनी से मैंने‌ पा लिया भौर ©राजेश कुमार बी.जी "

मैं रात भर चलता रहा घोर अंधेरे में कई बार गिरा फिर संभलता रहा लगा के उम्मीद सवैरे में कहीं दूर दिखी वो रोशनी मैं चलता रहा उसी ओर सोचा था मिलूंगा रोशनी से मैंने‌ पा लिया भौर ©राजेश कुमार बी.जी

रोशनी

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