ख़्वाब नहीं है ज़िन्दगी मुकम्मल जद्दोजहद है ये तराना | हिंदी शायरी

"ख़्वाब नहीं है ज़िन्दगी मुकम्मल जद्दोजहद है ये तराना खुशियों ग़म का फ़क़त है ये देखता आसमान को है तो पत्थर भी उठा हाँथों में हाँ ये सुराख़, क़ाबिल-ए-जुर्रत है ये ©Sajid Dildar"

 ख़्वाब नहीं है ज़िन्दगी
मुकम्मल जद्दोजहद है ये
तराना खुशियों ग़म का फ़क़त है ये
देखता आसमान को है तो पत्थर भी उठा हाँथों में
हाँ ये सुराख़, क़ाबिल-ए-जुर्रत है ये

©Sajid Dildar

ख़्वाब नहीं है ज़िन्दगी मुकम्मल जद्दोजहद है ये तराना खुशियों ग़म का फ़क़त है ये देखता आसमान को है तो पत्थर भी उठा हाँथों में हाँ ये सुराख़, क़ाबिल-ए-जुर्रत है ये ©Sajid Dildar

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