कहीं वन उपवन में पलाश खिले, कविता की गली कविवर मचल | हिंदी Poetry Vide

"कहीं वन उपवन में पलाश खिले, कविता की गली कविवर मचले | अरुण उदय अर्वण रंग निखरा, कानन में पलाश निरा बिखरा | | पथ पर पथिक अरण्य कठी, जंगल की ज्वाला महक उठी | काल दुकाल पलाश जला जब, जंगल में ज्वाला दहक उठी | | ©POET PRATAP CHAUHAN "

कहीं वन उपवन में पलाश खिले, कविता की गली कविवर मचले | अरुण उदय अर्वण रंग निखरा, कानन में पलाश निरा बिखरा | | पथ पर पथिक अरण्य कठी, जंगल की ज्वाला महक उठी | काल दुकाल पलाश जला जब, जंगल में ज्वाला दहक उठी | | ©POET PRATAP CHAUHAN

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