कितने मजबूर है ना हम जहाँ टूट कर बिखर जाना चाहिए | हिंदी विचार

"कितने मजबूर है ना हम जहाँ टूट कर बिखर जाना चाहिए वही खुशियों की उम्मीद लगाए बैठे है ©Prachi Goswami"

 कितने मजबूर है ना हम 
जहाँ टूट कर बिखर जाना चाहिए
वही खुशियों की उम्मीद लगाए बैठे है

©Prachi Goswami

कितने मजबूर है ना हम जहाँ टूट कर बिखर जाना चाहिए वही खुशियों की उम्मीद लगाए बैठे है ©Prachi Goswami

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