"सीट.......
मुझमे कई बैठे आराम किए और चलते बने
कोई इंतज़ार करता कोई आपस मे गुफ्तगू
प्यार करता, मैं रोज उन्हें देखता और पूछता
कि मैं सिर्फ आराम का जरिया हूँ कोई मुझे
अपने घर नहीं ले जाता, मैं बारिश मे भीगता
धूप मे तपता कोई मेरी परवाह ना करता,मैं एक आराम देने वाली सीट बन रह गया, कोई
मुझ से ये नहीं कह गया कि शुक्रिया तुम्हारा जो थके क़ो आराम दिया.......
©PФФJД ЦDΞSHI
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