गजब ढा रहे हो आज क्या बात है
इस दिल को भा रहे हो आज क्या बात है
निकले हो सज संवर के इस भरे बाजार में
कयामत पर कयामत ढा रहे हो आज क्या बात है
मखमल की इस साड़ी में मखमल सा बदन लिपटा हुआ
सब पर बिजलियां गिरा रहे हो आज क्या बात है
कोई जो तुमको देखे तो दीवाना सा हो जाए
हुसन का कहर बरसा रहे हो आज क्या बात है
नाजुक से पैर पड़ते हैं जो इस खुरदरी सड़क पर
चाल मटका रहे हो आज क्या बात है
कुछ है नहीं शायद तुमहें खरीददारी करनी
यूं ही लोगों को घुमा रहे हो आज क्या बात है
यूं बिखेरो ना बेवजह अपनी यह शोख अदाएं
पवन का दिल मचला रहे हो आज क्या बात है
©Rohit Bansal
#Affection