इन बुझे- बुझे से चरागों को इस बेरुखी से न देखो साह | हिंदी शायरी

"इन बुझे- बुझे से चरागों को इस बेरुखी से न देखो साहब.. इश्क़ में जल के कभी कोई रोशन नहीं हुआ । शिवाय...✍️✍️"

 इन बुझे- बुझे से चरागों को इस बेरुखी से न देखो साहब..
इश्क़ में जल के कभी कोई रोशन नहीं हुआ ।

शिवाय...✍️✍️

इन बुझे- बुझे से चरागों को इस बेरुखी से न देखो साहब.. इश्क़ में जल के कभी कोई रोशन नहीं हुआ । शिवाय...✍️✍️

#दर्द #प्यार #feelings

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