यूँ जमीन पर बैठकर क्यूँ आसमान देखता है पंखो को खो

"यूँ जमीन पर बैठकर क्यूँ आसमान देखता है पंखो को खोल जमाना सिर्फ उङान देखता है । धर्मेन्द्र चौहान "

 यूँ  जमीन पर बैठकर क्यूँ आसमान देखता है
पंखो को खोल जमाना सिर्फ उङान देखता है ।

धर्मेन्द्र चौहान

यूँ जमीन पर बैठकर क्यूँ आसमान देखता है पंखो को खोल जमाना सिर्फ उङान देखता है । धर्मेन्द्र चौहान

Life changed Dharmendra Chauhan This lifestyle

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