अकेले चलना है या कारवाँ होगा,
ये वक्त तय करता है,
आदमी तो बस अच्छा ही,
सोचा करता है,
कहाँ है मंजिल और कब मिलेगी,
ये मामला भी बड़ा पेचीदा है,
आदमी तो बस,
ढूँढता है और बेचैन रहता है।
#कलमसत्यकी
©Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
#snowpark अकेले चलना है या कारवाँ होगा,
ये वक्त तय करता है,
आदमी तो बस अच्छा ही,
सोचा करता है,
कहाँ है मंजिल और कब मिलेगी,
ये मामला भी बड़ा पेचीदा है,
आदमी तो बस,
ढूँढता है और बेचैन रहता है।