White कभी बरखा की रिमझिम कभी रेगिस्तान की झुलसती ध | हिंदी कविता Video

"White कभी बरखा की रिमझिम कभी रेगिस्तान की झुलसती धूप कभी अमावस की स्याह घनेरी रात कभी चटक चाँदनी की बरसात कभी कभी मुहब्बत की तपिश में पिघलता जिस्म से रूह तक का सफ़र कभी सर्द अजनबीपन से ठिठुरते जज्बात कभी हँसी कहकहों से खनकती बातें कभी आँसुओं की बाढ़ से भीगी रातें कभी मौत के भय से सिमटती जिंदगी कभी मृत्यु के शाश्वत सत्य निखरती जिंदगी जिंदगी को कब कौन समझ पाया है दोस्त जी लेती हूँ अब मैं हँसी ख़ुशी के पल जी भर के कभी महबूबा सी कभी क़ातिल सी जिंदगी को समझने की कोशिश में अब तक तो मैंने जिंदगी को सिर्फ गंवाया ही था दोस्त। स्वरचित: "अनामिक अर्श " ©अर्श "

White कभी बरखा की रिमझिम कभी रेगिस्तान की झुलसती धूप कभी अमावस की स्याह घनेरी रात कभी चटक चाँदनी की बरसात कभी कभी मुहब्बत की तपिश में पिघलता जिस्म से रूह तक का सफ़र कभी सर्द अजनबीपन से ठिठुरते जज्बात कभी हँसी कहकहों से खनकती बातें कभी आँसुओं की बाढ़ से भीगी रातें कभी मौत के भय से सिमटती जिंदगी कभी मृत्यु के शाश्वत सत्य निखरती जिंदगी जिंदगी को कब कौन समझ पाया है दोस्त जी लेती हूँ अब मैं हँसी ख़ुशी के पल जी भर के कभी महबूबा सी कभी क़ातिल सी जिंदगी को समझने की कोशिश में अब तक तो मैंने जिंदगी को सिर्फ गंवाया ही था दोस्त। स्वरचित: "अनामिक अर्श " ©अर्श

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