* कुछ अल्फाज मोहब्बत के * सुबह शाम ही क्या ; मैं | English Video

"* कुछ अल्फाज मोहब्बत के * सुबह शाम ही क्या ; मैं तो तुम्हें आठों पहर याद करती हूँ ,, तू जो ना दिखे हमको ; रब से तेरा दिखने का मैं फरियाद करती हूँ ।। सुबह शाम ही क्या ; मैं तो तुम्हें आठों पहर याद करती हूँ ,, तू जो ना दिखे हमको ; रब से तेरा दिखने का मैं फरियाद करती हूँ ।। माना दरमियाँ हमारे दूरियाँ हैं बहुत पर तुम मेरे दिल से दूर नहीं ,, माना दरमियाँ हमारे मजबूरियाँ है बहुत पर हम तुम्हें याद भी ना करे ; हालत मेरे इतने मजबूर नहीं ।। क्या हुआ हकीकत में , अरे! क्या हुआ हकीकत में जो संग तेरे कभी रह ना पायेंगें ,, ख्बाबों में ही हम तो तेरे अरे! ख्बाबों में ही हम तो तेरे ; तेरे संग अपनी सारी उम्र बितायेंगें ।। सुबह शाम ही क्या ; मैं तो तुम्हें आठों पहर याद करती हूँ ,, तू जो ना दिखे हमको ; रब से तेरा दिखने का मैं फरियाद करती हूँ ।। — ©Alfaj. E. Chand (Moon)"

* कुछ अल्फाज मोहब्बत के * सुबह शाम ही क्या ; मैं तो तुम्हें आठों पहर याद करती हूँ ,, तू जो ना दिखे हमको ; रब से तेरा दिखने का मैं फरियाद करती हूँ ।। सुबह शाम ही क्या ; मैं तो तुम्हें आठों पहर याद करती हूँ ,, तू जो ना दिखे हमको ; रब से तेरा दिखने का मैं फरियाद करती हूँ ।। माना दरमियाँ हमारे दूरियाँ हैं बहुत पर तुम मेरे दिल से दूर नहीं ,, माना दरमियाँ हमारे मजबूरियाँ है बहुत पर हम तुम्हें याद भी ना करे ; हालत मेरे इतने मजबूर नहीं ।। क्या हुआ हकीकत में , अरे! क्या हुआ हकीकत में जो संग तेरे कभी रह ना पायेंगें ,, ख्बाबों में ही हम तो तेरे अरे! ख्बाबों में ही हम तो तेरे ; तेरे संग अपनी सारी उम्र बितायेंगें ।। सुबह शाम ही क्या ; मैं तो तुम्हें आठों पहर याद करती हूँ ,, तू जो ना दिखे हमको ; रब से तेरा दिखने का मैं फरियाद करती हूँ ।। — ©Alfaj. E. Chand (Moon)

* कुछ अल्फाज मोहब्बत के *

सुबह शाम ही क्या ; मैं तो तुम्हें आठों पहर याद करती हूँ ,,
तू जो ना दिखे हमको ; रब से तेरा दिखने का मैं फरियाद करती हूँ ।।

सुबह शाम ही क्या ; मैं तो तुम्हें आठों पहर याद करती हूँ ,,
तू जो ना दिखे हमको ; रब से तेरा दिखने का मैं फरियाद करती हूँ ।।

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