महफ़िल में जो आए तो  कुछ सुनाना पड़ता है; छुपाना हो | हिंदी Shayari

"महफ़िल में जो आए तो  कुछ सुनाना पड़ता है; छुपाना होता है ग़म मुस्कुराना पड़ता है; बड़ा अजीब सा वक़्त है अब हम भी अज़ीज़ थे कभी  उन्हें याद दिलाना पड़ता है। ©हिमांशु Kulshreshtha "

महफ़िल में जो आए तो  कुछ सुनाना पड़ता है; छुपाना होता है ग़म मुस्कुराना पड़ता है; बड़ा अजीब सा वक़्त है अब हम भी अज़ीज़ थे कभी  उन्हें याद दिलाना पड़ता है। ©हिमांशु Kulshreshtha

बड़ा अजीब सा है...

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