न कोई दीवाना कहता है न समझे कोई हमें पागल तड़प बेच | हिंदी शायरी
"न कोई दीवाना कहता है न समझे कोई हमें पागल
तड़प बेचैन धरती की कहाँ समझे कोई बादल
तू मुझसे दूर अच्छी है मैं तुझसे दूर अच्छा हूँ
जंग-ए-इश्क़ में देखो न तुम घायल न हम घायल"
न कोई दीवाना कहता है न समझे कोई हमें पागल
तड़प बेचैन धरती की कहाँ समझे कोई बादल
तू मुझसे दूर अच्छी है मैं तुझसे दूर अच्छा हूँ
जंग-ए-इश्क़ में देखो न तुम घायल न हम घायल