क्या कहूँ किस कदर टूट जाऊँगा मैं ...
© कवि राहुल पाल 🔵
क्या कहूँ किस कदर टूट जाऊंगा मैं,
जो आईने की तरह छूट जाऊंगा मैं ..१
जो हम भटकते रहे हर डगर हर सफर ,
इक़ घड़े की तरह फूट जाऊँगा मैं ..२
तेरे दर से किधर को ही जाऊंगा मैं ,
जाऊंगा भी तो झूट-मूट जाऊंगा मैं ..३