है आज भी बरकरार यकीन खुद पे
है आज भी बेतहाशा तस्कीन खुद से
बस जब ये राहें हमें रुआसा कर देती है
भटक जाती है तलाश खुद की खुद से
लेकिन फिर किसी अर्जमंद की नसीहतें ,
मुझे मिला जाती है खुद से
लहरें फिर मिल जाती है समुंदर में हौले - हौले ।।
©MAYANK RISHI
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