तो ऐसा कौन सा दुख था जो मैंने नहीं सहा उसके लिए,
उसके प्यार के लिए -
अपनों की भिड में अकेली हो गई,
घर से दूर हो गई,
रात में सड़क पर अकेली छोड़ दी गई,
उपवास में रोते हुए uske पीछे भागी,
मानसिक दुख सहा,
बुरी बातों को सुना,
शरीर कष्ट सहा,
साथ रहते हुए भी वियोग का दर्द साहा,
हर पल मरी मैं ...
और बदले में क्या मिला..
एक जवाब की
"ये संभव ही नहीं है"
©ek insan
#retro