बे-हया " लफ्ज़ जितने भी कहूँ कम होंगे । अब हर त | हिंदी विचार

"" बे-हया " लफ्ज़ जितने भी कहूँ कम होंगे । अब हर तरफ तख्तों-ताज के सितम होंगे । चीखें सुनाई आयेगी कुछ , दूर बस्ती से । लाशें होंगी , ना कफ़न होंगे । नज़र दूर तलक जा कर लौट आयेगी । बदन में जान भर होगी , पर ज़ज्बात दफ़न होंगे । बनेंगी रोटियाँ मरघट की आग से । ना इनायतें होंगी , ना काफिले होंगे ।। बोली लगेगी खुद ही के जिस्म की । मजबूरियाँ होंगी , वो बे-हया होंगे ।। लफ्ज़ जितने भी कहूँ कम होंगे । अब हर तरफ तख्तों-ताज के सितम होंगे ।। ~Rohit Saini "Reflection""

 " बे-हया " 

लफ्ज़ जितने भी कहूँ कम होंगे ।
अब हर तरफ तख्तों-ताज के सितम होंगे ।

चीखें सुनाई आयेगी कुछ , दूर बस्ती से ।
लाशें होंगी , ना कफ़न होंगे ।

नज़र दूर तलक जा कर लौट आयेगी ।
बदन में जान भर होगी , पर ज़ज्बात दफ़न होंगे ।

बनेंगी रोटियाँ मरघट की आग से ।
ना इनायतें होंगी , ना काफिले होंगे ।।

बोली लगेगी खुद ही के जिस्म की ।
मजबूरियाँ होंगी  , वो बे-हया होंगे ।।

लफ्ज़ जितने भी कहूँ कम होंगे ।
अब हर तरफ तख्तों-ताज के सितम होंगे ।।

~Rohit Saini "Reflection"

" बे-हया " लफ्ज़ जितने भी कहूँ कम होंगे । अब हर तरफ तख्तों-ताज के सितम होंगे । चीखें सुनाई आयेगी कुछ , दूर बस्ती से । लाशें होंगी , ना कफ़न होंगे । नज़र दूर तलक जा कर लौट आयेगी । बदन में जान भर होगी , पर ज़ज्बात दफ़न होंगे । बनेंगी रोटियाँ मरघट की आग से । ना इनायतें होंगी , ना काफिले होंगे ।। बोली लगेगी खुद ही के जिस्म की । मजबूरियाँ होंगी , वो बे-हया होंगे ।। लफ्ज़ जितने भी कहूँ कम होंगे । अब हर तरफ तख्तों-ताज के सितम होंगे ।। ~Rohit Saini "Reflection"

" बे-हया "
#nojoto

People who shared love close

More like this

Trending Topic