चिरागें हैं रौशन, चिमनियां थोड़ी भभक रहीं। आहुति ज | हिंदी कविता

"चिरागें हैं रौशन, चिमनियां थोड़ी भभक रहीं। आहुति जहां तुम दे आए थे.. वहीं है ज्वाला धधक रही। ©Revati Raman Dev Napit"

 चिरागें हैं रौशन,
चिमनियां थोड़ी भभक रहीं।
आहुति जहां तुम दे आए थे..
वहीं है ज्वाला धधक रही।

©Revati Raman Dev Napit

चिरागें हैं रौशन, चिमनियां थोड़ी भभक रहीं। आहुति जहां तुम दे आए थे.. वहीं है ज्वाला धधक रही। ©Revati Raman Dev Napit

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