अल्फाज़ हैं मगर, ज़बान नही। आखें हैं मगर, ख्वाब नही

"अल्फाज़ हैं मगर, ज़बान नही। आखें हैं मगर, ख्वाब नही। किश्मत भी‌‌ ऐसी दी देने वाले ने। किश्मत में तेरा ही नाम नही।"

 अल्फाज़ हैं मगर, ज़बान नही।
आखें हैं मगर,
ख्वाब नही।
किश्मत भी‌‌ ऐसी दी 
देने वाले ने।
किश्मत में तेरा ही 
नाम नही।

अल्फाज़ हैं मगर, ज़बान नही। आखें हैं मगर, ख्वाब नही। किश्मत भी‌‌ ऐसी दी देने वाले ने। किश्मत में तेरा ही नाम नही।

#alfaz

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