"अभी इबादतों का महीना, माह-ए-रमज़ान शुरू है
जितनी हो सके उतनी इबादत और नेक काम कीजिए।
जो काम बाद में भी हो सकते हैं उन कामों के लिए
ये रमज़ान का क़ीमती वक़्त ज़ाया ना कीजिए।
भले ही दिन-रात इबादत ना हो सके लेकिन फ़िर भी
इस क़ीमती वक़्त को बेवजह के कामों में बरबाद ना कीजिए।
क्या पता अगला रमज़ान देखना क़िस्मत में लिखा भी है या नहीं
इसलिए जो ये रमज़ान मिला है अभी उस में बहुत एहतियात कीजिए।
©Sh@kila Niy@z
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