"कुछ अपनी जवानी के मंज़र याद आ रहें हैं
कुछ लोगों के इश्क़ के दावे याद आ रहें हैं
कुछ नाकाम मोहब्बत के किस्से याद आ रहें हैं
अपनी बर्बादी के हिस्से याद आ रहें हैं
कुछ अपनी खोए ख़्वाब याद आ रहें हैं
जो मंज़िल मिली नहीं उसके आगाज़ याद आ रहें हैं
अपनी खोई शख्सियत के परवाज़ याद आ रहें हैं
मैं क्या से क्या हो गई के अब वो ज़माने याद आ रहें हैं
@deepalidp
©Deepali dp
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