झाड़ू पोंछा कर रहे , पुरुष घरों में बंद।
आफिस में पत्नी गई , पढ़िए मीठे छंद।
पढ़ा -लिखा खुद आदमी, करता वह तैयार।
पति को भूली शान में , छोड़ दिया मझधार।।
कैद हुआ पति घर में , पत्नी का आनंद।
रोना धोना बैठ के , खो गया गुल कंद।।
के एल महोबिया ✍️
©K L MAHOBIA
#बेचारी के एल महोबिया