मन मे घर किये है जो घर ...
डर, चिंतन, और शर्म ने..
पहचान को हमारे..
दबा रखी है...
वास्तविकता को हमारे...
भय के हमारे पीछे छिपा रखी है..
हम डरते है..
चार लोग कहेँगे क्या..
क्या सोचेंगे चार लोग बारे मे हमारे ..
मगर हम भूल क्यों जाते..
कौन है ये चार लोग...
जो बुरे वक्त पर साथ न थे...
ये वही चार लोग होते है जो...
उठते का सहारा...
और गिरते का..
बुरा वक़्त बनकर उभरते है अक्सर.. ✍️
©Rajput Avi
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