मैंने रास्ते बदल के देखे हैं मंज़िल से वापसी के न | English Shayari

"मैंने रास्ते बदल के देखे हैं मंज़िल से वापसी के निशान देखे हैं तजुर्बा है सो कहता हूँ दोस्त मैंने परिंदे कयी क़ैद में देखे हैं ज़िंदा रहते दोस्त आसमान से लड़ जाना परिंदे मरे मैंने ज़मीन पे देखे हैं हुनर नहीं होता सब में यहाँ अर्जुन मैंने कई बिना माधव के देखे हैं ©Alok Kumar"

 मैंने रास्ते बदल के देखे हैं 
मंज़िल से वापसी के निशान देखे हैं 

तजुर्बा है सो कहता हूँ दोस्त 
मैंने परिंदे कयी क़ैद में देखे हैं 

ज़िंदा रहते दोस्त आसमान से लड़ जाना 
परिंदे मरे मैंने ज़मीन पे देखे हैं 

हुनर नहीं होता सब में यहाँ 
अर्जुन मैंने कई बिना माधव के देखे हैं

©Alok Kumar

मैंने रास्ते बदल के देखे हैं मंज़िल से वापसी के निशान देखे हैं तजुर्बा है सो कहता हूँ दोस्त मैंने परिंदे कयी क़ैद में देखे हैं ज़िंदा रहते दोस्त आसमान से लड़ जाना परिंदे मरे मैंने ज़मीन पे देखे हैं हुनर नहीं होता सब में यहाँ अर्जुन मैंने कई बिना माधव के देखे हैं ©Alok Kumar

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