मैंने रास्ते बदल के देखे हैं
मंज़िल से वापसी के निशान देखे हैं
तजुर्बा है सो कहता हूँ दोस्त
मैंने परिंदे कयी क़ैद में देखे हैं
ज़िंदा रहते दोस्त आसमान से लड़ जाना
परिंदे मरे मैंने ज़मीन पे देखे हैं
हुनर नहीं होता सब में यहाँ
अर्जुन मैंने कई बिना माधव के देखे हैं
©Alok Kumar
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