तुम्हारे लबों की खामोशी बेचैन करती है मुर्शिद, व | हिंदी शायरी

"तुम्हारे लबों की खामोशी बेचैन करती है मुर्शिद, वीराने की आदत नहीं है शायद. ©Abhay Katiyar"

 तुम्हारे लबों की खामोशी बेचैन करती है 

मुर्शिद, वीराने की आदत नहीं है शायद.

©Abhay Katiyar

तुम्हारे लबों की खामोशी बेचैन करती है मुर्शिद, वीराने की आदत नहीं है शायद. ©Abhay Katiyar

तन्हाई

#meltingdown

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