मेरी रगों में भी वही लहू बहता है जो उसकी रगों में | हिंदी Poetry

"मेरी रगों में भी वही लहू बहता है जो उसकी रगों में में भी किसी किसान की मेहनत की रोटी खाती हूँ और वो भी मेरा शरीर भी एक दिन राख हो जाएगा और उसका भी पर इतना एक सा होना काफी नहीं होता क्योंकि ये समाज देखता है जाती, धर्म, रिवाज,रीति और हज़ार ऐसे सवाल जिनके जवाब नहीं दे पाएंगे आप मेरा उस समाज में रहकर नौकरी पेशा होना सही है पर उसी समाज में मेरा शादी कर लेना गुनाह वो जो मुझे बचपन में प्रेम सिखाया करते थे, आज प्रेम की किताब में लिखी शर्तें पढ़ाया करते हैं वो मुझे समाज और मान सम्मान का ज्ञान देते हैं पर मेरी खुशी....उसका एक पल भी एहसास नहीं उन्हें वो...... मेरे ही माता पिता हैं पर समाज के सामने हार जाते हैं और करने को कहते हैं मुझे एक समझौता... जो घोट देगा खुशियां मेरी, जो तोड़ देगा मेरे रिश्ते को जो बना देगा एक मूरत मुझे जिसके बाद मैं नहीं रहूंगी मैं मैं नहीं रहूंगी मैं। ©naam men kya rakhha hai"

 मेरी रगों में भी वही लहू बहता है जो उसकी रगों में
में भी किसी किसान की मेहनत की रोटी खाती हूँ और वो भी
मेरा शरीर भी एक दिन राख हो जाएगा और उसका भी
पर इतना एक सा होना काफी नहीं होता
क्योंकि ये समाज देखता है जाती, धर्म, रिवाज,रीति और हज़ार ऐसे सवाल जिनके जवाब नहीं दे पाएंगे आप
मेरा उस समाज में रहकर नौकरी पेशा होना सही है
पर उसी समाज में मेरा शादी कर लेना गुनाह
वो जो मुझे बचपन में प्रेम सिखाया करते थे,
आज प्रेम की किताब में लिखी शर्तें पढ़ाया करते हैं
वो मुझे समाज और मान सम्मान का ज्ञान देते हैं
पर मेरी खुशी....उसका एक पल भी एहसास नहीं उन्हें
वो......
मेरे ही माता पिता हैं
पर समाज के सामने हार जाते हैं
और करने को कहते हैं मुझे एक समझौता...
जो घोट देगा खुशियां मेरी,
जो तोड़ देगा मेरे रिश्ते को
जो बना देगा एक मूरत मुझे
जिसके बाद मैं नहीं रहूंगी मैं
मैं नहीं रहूंगी मैं।

©naam men kya rakhha hai

मेरी रगों में भी वही लहू बहता है जो उसकी रगों में में भी किसी किसान की मेहनत की रोटी खाती हूँ और वो भी मेरा शरीर भी एक दिन राख हो जाएगा और उसका भी पर इतना एक सा होना काफी नहीं होता क्योंकि ये समाज देखता है जाती, धर्म, रिवाज,रीति और हज़ार ऐसे सवाल जिनके जवाब नहीं दे पाएंगे आप मेरा उस समाज में रहकर नौकरी पेशा होना सही है पर उसी समाज में मेरा शादी कर लेना गुनाह वो जो मुझे बचपन में प्रेम सिखाया करते थे, आज प्रेम की किताब में लिखी शर्तें पढ़ाया करते हैं वो मुझे समाज और मान सम्मान का ज्ञान देते हैं पर मेरी खुशी....उसका एक पल भी एहसास नहीं उन्हें वो...... मेरे ही माता पिता हैं पर समाज के सामने हार जाते हैं और करने को कहते हैं मुझे एक समझौता... जो घोट देगा खुशियां मेरी, जो तोड़ देगा मेरे रिश्ते को जो बना देगा एक मूरत मुझे जिसके बाद मैं नहीं रहूंगी मैं मैं नहीं रहूंगी मैं। ©naam men kya rakhha hai

please comment Your Views on this topic....

#INTERCASTE #lovemarriage #समाज #Hindi #hindi_poetry #Twowords #lovepoetry #Kathakaar @ankijoshi काव्यात्मक अंकुर Sudha Tripathi @jeevesh yadav Suman Zaniyan

People who shared love close

More like this

Trending Topic