चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं पाले ग़मों को, सजाते

"चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं पाले ग़मों को, सजाते हैं चंद लम्हें जो रखे थे, ख़्वाबों के सिरहाने में इक लम्हें को, फिर हक़ीक़त बनाते हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। तस्वीर की ख़ाली फ्रेम, जो गुमनामी समेटे है उस फ्रेम में, अब इक रंगीन तस्वीर लागते हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। नदी के किनारे के वो पत्थर, कब से अकेले हैं इक पत्थर को, लहरों के सीने पे, फिर चलातें हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। बुना था तुमने, जिस स्वेटर को, बंद कमरे में उस स्वेटर को, इस सर्दी में, आगोश में लेते हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। सौंधी मिट्टी की ख़ुशबू,जो समेटे थी, बूँदों में उस बारिश से आज इक इंद्रधनुष बनाते हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। आपका ~ विवेक आनंद (#myoriginals)"

 चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं
पाले ग़मों को, सजाते हैं
चंद लम्हें जो रखे थे, ख़्वाबों के सिरहाने में
इक लम्हें को, फिर हक़ीक़त बनाते हैं
चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं।

तस्वीर की ख़ाली फ्रेम, जो गुमनामी समेटे है
उस फ्रेम में, अब इक रंगीन तस्वीर लागते हैं
चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं।

नदी के किनारे के वो पत्थर, कब से अकेले हैं
इक पत्थर को, लहरों के सीने पे, फिर चलातें हैं
चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं।

बुना था तुमने, जिस स्वेटर को, बंद कमरे में
उस स्वेटर को, इस सर्दी में, आगोश में लेते हैं
चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं।

सौंधी मिट्टी की ख़ुशबू,जो समेटे थी, बूँदों में
उस बारिश से आज इक इंद्रधनुष बनाते हैं
चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं।
आपका ~ विवेक आनंद (#myoriginals)

चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं पाले ग़मों को, सजाते हैं चंद लम्हें जो रखे थे, ख़्वाबों के सिरहाने में इक लम्हें को, फिर हक़ीक़त बनाते हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। तस्वीर की ख़ाली फ्रेम, जो गुमनामी समेटे है उस फ्रेम में, अब इक रंगीन तस्वीर लागते हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। नदी के किनारे के वो पत्थर, कब से अकेले हैं इक पत्थर को, लहरों के सीने पे, फिर चलातें हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। बुना था तुमने, जिस स्वेटर को, बंद कमरे में उस स्वेटर को, इस सर्दी में, आगोश में लेते हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। सौंधी मिट्टी की ख़ुशबू,जो समेटे थी, बूँदों में उस बारिश से आज इक इंद्रधनुष बनाते हैं चलो इक बार, फिर मुस्कुराते हैं। आपका ~ विवेक आनंद (#myoriginals)

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