सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी। नयन से बह, | हिंदी Motivation

"सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी। नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।। पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू। संभल के सुन, रहो पापी,लगेगी मार अब धाँसू।। ©Bharat Bhushan pathak"

 सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी।
नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।।
पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू।
संभल के सुन, रहो पापी,लगेगी मार अब धाँसू।।

©Bharat Bhushan pathak

सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी। नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।। पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू। संभल के सुन, रहो पापी,लगेगी मार अब धाँसू।। ©Bharat Bhushan pathak

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सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी।
नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।।
पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू।
संभल के सुन, रहो पापी,लगेगी मार अब धाँसू।।

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