जंग लगी गाड़ी को अब घर से बाहर निकाल रहे ह | हिंदी Shayari

"जंग लगी गाड़ी को अब घर से बाहर निकाल रहे है वो देखो डेरा डाल रहे है देखो डेरा डाल रहे है रुको पिताजी मैं लडूंगा, रुक जा बेटा लड़ने दे जिनसे खुद का घर नही संभला वो सबको संभाल रहे है काम कभी नही आते फिर भी जयकारे लगवाते जो चार कंधो पर बैठकर के रैलियां निकाल रहे है पांच साल मस्ती में बीते अब बस्ती में आये तो काम तुम्हारा मैं कर दूंगा कह कहकर वो टाल रहे है ©Dilkhush Rao Suras"

 जंग लगी  गाड़ी को  अब  घर  से  बाहर  निकाल  रहे  है
वो  देखो   डेरा   डाल  रहे  है   देखो   डेरा   डाल  रहे  है

रुको   पिताजी    मैं   लडूंगा,  रुक  जा  बेटा    लड़ने  दे
जिनसे खुद का घर नही संभला वो सबको संभाल रहे है

काम  कभी नही  आते  फिर  भी  जयकारे  लगवाते  जो
चार  कंधो  पर   बैठकर   के   रैलियां   निकाल   रहे   है

पांच  साल  मस्ती   में  बीते   अब   बस्ती  में   आये  तो
काम  तुम्हारा  मैं कर दूंगा  कह कहकर  वो  टाल  रहे है

©Dilkhush Rao Suras

जंग लगी गाड़ी को अब घर से बाहर निकाल रहे है वो देखो डेरा डाल रहे है देखो डेरा डाल रहे है रुको पिताजी मैं लडूंगा, रुक जा बेटा लड़ने दे जिनसे खुद का घर नही संभला वो सबको संभाल रहे है काम कभी नही आते फिर भी जयकारे लगवाते जो चार कंधो पर बैठकर के रैलियां निकाल रहे है पांच साल मस्ती में बीते अब बस्ती में आये तो काम तुम्हारा मैं कर दूंगा कह कहकर वो टाल रहे है ©Dilkhush Rao Suras

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