White सवालों के उपजे हुए मस्तिष्क कुछ और नहीं
दवा दारू, जश्न ए शाम कुछ और नहीं....
एक भूख है शब्दों को बो देना कुछ और नहीं
आम सी घरो में रह क़लम उठाना इससे अच्छा कुछ और नहीं
जंग ए वजूद की धरोहर रहना
मिठास, वियोग संग समतुल्य नौतिक गह देना
फिर भी उन्माद ए लफ़्ज़ों में सब समाहित कर देना
ये कुछ और नहीं... हमारी प्यारी लेखिका दी ही है.....
©Dev Rishi
#Moon