बिखरे मोतियों को सम्भालने आया हूं हो सकेगी जितनी | हिंदी Shayari

"बिखरे मोतियों को सम्भालने आया हूं हो सकेगी जितनी मजबूरियां से निकालने आया हूं खुशियों में नही तो ग़मों मे शामिल कर मुझे दर्द आपका बाटने आया हूं ©Rohan Rajasthani"

 बिखरे मोतियों को सम्भालने आया हूं 
हो सकेगी जितनी मजबूरियां से निकालने आया हूं 
खुशियों में नही तो ग़मों मे शामिल कर मुझे 
 दर्द आपका बाटने आया हूं

©Rohan Rajasthani

बिखरे मोतियों को सम्भालने आया हूं हो सकेगी जितनी मजबूरियां से निकालने आया हूं खुशियों में नही तो ग़मों मे शामिल कर मुझे दर्द आपका बाटने आया हूं ©Rohan Rajasthani

#nightsky यूपी की आवाज आप तक बाबा ब्राऊनबियर्ड @Nikhil saini @video @Dr Himanshi Singh

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