अपने खयालो में जो मज़ा मैं चख चुकी हूँ
खुद की मुहब्ब्त में लिपटने का ,
वो असलियत में बस बदल जाए,
और के लिए जीते जीते अब कहीं मैं ही खुद में मर ना जाऊँ,
आज़ाद हो जाऊँ कुछ लफ़्ज़ों , फ़र्ज़ों की गुलामी से ,
कहीं फिर से अपने ऊपर थोपे जज़्बातों की बली ना चढ़ जाऊं।
@100fia Gulati✍️
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