शिकायत नहीं खुदा तेरी खुदाई से.... यहाँ नीयत ख़राब | हिंदी कविता

"शिकायत नहीं खुदा तेरी खुदाई से.... यहाँ नीयत ख़राब इंसान की होती है.... कितना भी कर लूँ मैं अपनों के लिए... मेरी खासियत मेरे पद और पहचान से होती है... आपकी बातों का महत्व नहीं इस समाज में... महत्व तो दीवारों पर लगी कान से होती है... बखान तो कितने करते हैं आसमान की.... पर बखान का महत्व उसके उड़ान से होती है... रूह को लोग तो यूँही ही बदनाम करते है.. मोहबत्त तो जिस्म के बनाबट और जान से होती है... मिट जातें हैं लोग जब अपने ही नज़रों में... तब उनकी मुलाकात शमशान से होती है..."

 शिकायत नहीं खुदा तेरी खुदाई से....
यहाँ नीयत ख़राब इंसान की होती है....
कितना भी कर लूँ मैं अपनों के लिए...
मेरी खासियत मेरे पद और पहचान से होती है...

आपकी बातों का महत्व नहीं इस समाज में...
महत्व तो दीवारों पर लगी कान से होती है...
बखान तो कितने करते हैं आसमान की....
पर बखान का महत्व उसके उड़ान से होती है...

रूह को लोग तो यूँही ही बदनाम करते है..
मोहबत्त तो जिस्म के बनाबट और जान से होती है...
मिट जातें हैं लोग जब अपने ही नज़रों में...
तब उनकी मुलाकात शमशान से होती है...

शिकायत नहीं खुदा तेरी खुदाई से.... यहाँ नीयत ख़राब इंसान की होती है.... कितना भी कर लूँ मैं अपनों के लिए... मेरी खासियत मेरे पद और पहचान से होती है... आपकी बातों का महत्व नहीं इस समाज में... महत्व तो दीवारों पर लगी कान से होती है... बखान तो कितने करते हैं आसमान की.... पर बखान का महत्व उसके उड़ान से होती है... रूह को लोग तो यूँही ही बदनाम करते है.. मोहबत्त तो जिस्म के बनाबट और जान से होती है... मिट जातें हैं लोग जब अपने ही नज़रों में... तब उनकी मुलाकात शमशान से होती है...

People who shared love close

More like this

Trending Topic