White आहिस्त चल जीन्दगी कई कर्ज। चुकान बाकी है।
कुछ दर्द मिटाना बाकी है
कुछ फर्ज निभाना बाकी है।
रफ्तार मे तेरे चलने से।
कुछ रूठ गये कुछ छुट गये ।
रूठो को मनाना बाकी है।
रातो को हसाना बाकी है।
कुछ रिश्ते बनकर टूट गये
कुछ जुडते जुडते छूट गये
ऊन टुटे छुटे रिश्तो के।
जख्मो को मिटाना बाकी है।
कुछ हसरते अभी अधुरी है
कुछ काम भी और जरूरी है
जिवन की ऊलझ पहेली को
पुरा सुलझाना बाकी है।
आहिस्ता चल जिन्दी कई फर्ज
निभाना बाकी है।।
©Bheem Bheemshankar
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