एक पंछी के अहसास
मन करता है एक परिंदा मैं भी तो बन जाऊं ,
आसमान में सबसे ऊंची लंबी पींग लगाऊं।
मम्मी के संग चुग कर दाना ला के में इठलाऊं ,
और दुबक कर माता के आंचल में मैं सो जाऊं।
घने पेड़ की डाली पर छोटा सा नीड़ बनाऊं ,
मां के संग दाना चुगने को मैं धरती पर जाऊं।
मैं छोटा सा पंख नये उड़ने से डर लगता है,
कोशिश में हूं शहसवार ही तो नीचे गिरता है।
रंग बिरंगे कितने पंछी पेड़ों पर रहते हैं ,
हर मौसम की मार सभी मिल करके ही सहते हैं।
कुछ है अपने देश के कई विदेशों से आते हैं,
मीठी बोली रंग सुनहरा हमें बहुत भाते हैं।
मैं जवान हो जाऊंगा तो बहुत दूर जाऊंगा,
खुल्ले नभ की ऊंचाई को नाप तभी पाऊंगा।
अगर कहीं मिल जाय बाज तो गोता एक लगाऊं,
ऐसी एक उड़ान भरूं के हाथ कभी ना आऊं।
फिर भी डर लगता है वो पक्का दुश्मन है मेरा ,
उसने इक दिन आसमान में था मुझको भी घेरा।
दूर विदेशों से जो भी पंछी भारत में है आते ,
सभी जलाशय भारत के ही उनको खूब सुहाते।
ईश्वर ने परिवार हमारा रंगों से है सजाया ,
हरिक रंग का पंछी उसने फुर्सत से है बनाया।
किसी चीज से भी वंचित हमको नहीं रखा है,
सुंदर सा संसार दिया वो सबका परम पिता है।
खूब चहकते मस्ती करते जीवन बीत रहा है,
वो ही सबको रखें सुरक्षित मेरी यही दुआ है।
©Instagram id @kavi_neetesh
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