कमलेश सागर के ऊपर उड़ना, इतना आसान नहीं  जो उड़ते नह | हिंदी शायरी

"कमलेश सागर के ऊपर उड़ना, इतना आसान नहीं  जो उड़ते नहीं परिंदे, होती उनके पँखों में जान नहीं  यारा जद्दोजहद न हो जिंदगी में तो कुछ नहीं मिलता  न कोई मुकाम मिलता, होती कोई भी पहचान नहीं। गिरना, संभलना ही जिंदगी का दूसरा नाम हैं कमलेश  जो खुद को समझ न पाया यारा,फिर वह इंसान नहीं ©Kamlesh Kandpal "

कमलेश सागर के ऊपर उड़ना, इतना आसान नहीं  जो उड़ते नहीं परिंदे, होती उनके पँखों में जान नहीं  यारा जद्दोजहद न हो जिंदगी में तो कुछ नहीं मिलता  न कोई मुकाम मिलता, होती कोई भी पहचान नहीं। गिरना, संभलना ही जिंदगी का दूसरा नाम हैं कमलेश  जो खुद को समझ न पाया यारा,फिर वह इंसान नहीं ©Kamlesh Kandpal

#Jaan

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