White दोहा :-
मृत्यु निकट आ ही गई , होते क्यों भयभीत ।
साथी कोई भी नही , बने वहाँ मनमीत ।।
सूर्यदेव के ताप से , काँप रहे हो आज ।
भाग रहे शीतल जगह , छोड़ आज सब काज ।।
वादा करते आपसे , अभी न छोड़ूँ हाथ ।
जीवन भर बस प्यार से , रखना हमको साथ ।।
जीवन साथी संग में , उठा रहे आनंद ।
दुआ यही करता प्रखर , कभी न हो ये मंद ।।
वर्षगाँठ शुभकामना , करें आप स्वीकार ।
जीवन भर मिलता रहे , साथी से यूँ प्यार ।।
आगे जीवन में यही , करे खड़ी दीवार ।
बात-बात पर तुम कहीं , अगर करो तकरार ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :-
मृत्यु निकट आ ही गई , होते क्यों भयभीत ।
साथी कोई भी नही , बने वहाँ मनमीत ।।
सूर्यदेव के ताप से , काँप रहे हो आज ।