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माता सा नाता नहीं,अनुपम प्रभु उपहार।
जग बैरी होता भले, माँ का मिले दुलार।।
माता सेवा से बड़ा, कहो कौन है धर्म।
माता है ममतामयी,समझ अभी भी मर्म।।
मातु-पिता को छोड़ना, सबसे बड़ा अधर्म।
माता हँसती ही रहे, ऐसे करना कर्म।।
पुत्र श्रवण से अब कहाँ,रख लें माँ का ध्यान।
ममता तो पूरी मिली, नहीं दिया है मान।।
मातृ-दिवस में एक दिन,कर लेते हो प्यार।
पढ़े-लिखे करने लगे,पश्चिम के व्यवहार।।
©Subhash Singh
#mothers_day