White दूसरो को दोष देते रहे
भूल गए थे तो तो हमारी ज़िमेदारी है जिंदगी।
कैसे आदत पड़ गई मिन्नतों की
भूल गए थे वो डट जाना, जिद कर जाना जिंदगी।
अब एहसास हो रहा है ये सब तो औरों के लिए था
अपने लिए कब तुझसे बात की जिंदगी।
अब सीख गए है भले जीना जरूरी औरों के लिए भी।
पर खुद को भूल कर कैसा जीना जिंदगी।
दिल तोड़ा है हमने अपने ही हाथो से,
गैरो से कैसा शिकवा जिंदगी.....
©Ramnik
#ज़िन्दगी #