कुबूल करिए आदाब जनाब
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कब से कब तक याद रखें हमें आप
स्वीकार करिए शुक्रिया जनाब
अनजान थे अनजान हैं
मगर जान- पहचान रखें आज तक आप
लगता ऐसे कि अनजान अब नहीं रहे हम जनाब
इतनो की भीड़ में पहचान लिए हमें आप
कुबूल करिए मेरा आदाब जनाब
पुरस्कार तो काव्य के सिवा दूसरा कोई बड़ा मैं दे नहीं सकूंगी आपको
हंसकर हो या रोकर हो या मुंह बिचकाकर हो
कुबूल ही कर लीजिए जनाब
जब मिलेगी फिरसे ये "परिणीता"
कोई आपकी महफिल में तो......
एक मुस्कान आपको अपनी जरूर दे जाएगी जनाब
इतनी गुजारिश है
इस मुस्कान को बस
औरों की मुस्कान से तुलना मत करना जनाब
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©Parinita Raj "Khushboo "
#chaand #muskan