ग़ज़ल :-
आज लेकर गुलाब आया हूँ ।
खत का तेरे जवाब लाया हूँ।।
इस तरह तो न खेल तू दिलसे ।
दिल को पहले भी मैं गंवाया हूँ ।।
जिसकी ताबीर की बरसों पहले ।
मिलने उनको यहीं बुलाया हूँ ।।
दर्ज जो भी वफ़ा के थे किस्से ।
पढ़के उनको भी मैं जलाया हूँ ।।
सोच में हूँ वफ़ा करूँ किससे ।
तोड़ बंधन सभी मैं आया हूँ ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :-
आज लेकर गुलाब आया हूँ ।
खत का तेरे जवाब लाया हूँ।।