तेरे दर पे आकर हम दर दर भटके उम्मीद टूटी तो कुछ ल | हिंदी शायरी

"तेरे दर पे आकर हम दर दर भटके उम्मीद टूटी तो कुछ लोगो को भी हम खटके।। जा अब किसका मलाल करू तू रुखसत हो मैं क्यों ख्याल करू।। तेरे गुम होने से शहर को क्यू बदनाम करू दर्द ए सर्द मैं क्यों बेहाल करू।। ©Pankaj Patel"

 तेरे दर पे आकर हम दर दर भटके 
उम्मीद टूटी तो कुछ लोगो को भी हम खटके।।
जा अब किसका मलाल करू
 तू रुखसत हो मैं क्यों ख्याल करू।।
तेरे गुम होने से शहर को क्यू बदनाम करू 
दर्द ए सर्द मैं क्यों बेहाल करू।।

©Pankaj Patel

तेरे दर पे आकर हम दर दर भटके उम्मीद टूटी तो कुछ लोगो को भी हम खटके।। जा अब किसका मलाल करू तू रुखसत हो मैं क्यों ख्याल करू।। तेरे गुम होने से शहर को क्यू बदनाम करू दर्द ए सर्द मैं क्यों बेहाल करू।। ©Pankaj Patel

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