इक देखी थी सूरत कमाल की, जो नेनो से जाम पीला गयी। | हिंदी कविता

"इक देखी थी सूरत कमाल की, जो नेनो से जाम पीला गयी। मऻसुमियत् उसकी कमाल की, पहली नज़र मै मन को भा गयी। पलक जपकते ही बो इस तरह, भीड़ मैं थी खो गयी। कि फिर ढुंढते ढुंढते उसे, इक मुद्दत सी थी हो गयी। continue on next page ©jasbir singh"

 इक देखी थी सूरत कमाल की, 
जो नेनो से जाम पीला गयी। 

मऻसुमियत् उसकी कमाल की, पहली नज़र मै मन को भा गयी। 

पलक जपकते ही बो इस तरह, भीड़ मैं थी खो गयी। 

कि फिर ढुंढते ढुंढते उसे, इक मुद्दत सी थी हो गयी।








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©jasbir singh

इक देखी थी सूरत कमाल की, जो नेनो से जाम पीला गयी। मऻसुमियत् उसकी कमाल की, पहली नज़र मै मन को भा गयी। पलक जपकते ही बो इस तरह, भीड़ मैं थी खो गयी। कि फिर ढुंढते ढुंढते उसे, इक मुद्दत सी थी हो गयी। continue on next page ©jasbir singh

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