एकला लाचार मजबूर कद किसने के कहवै सै, राम बी देख क | हिंदी कविता

"एकला लाचार मजबूर कद किसने के कहवै सै, राम बी देख कै बस आंख मूंद लेवै सै। दस्तूर बी वक़्त का कितना अजीब सै, थोड़ा बहोत दे कै बहोत कुछ छीण लेवै सै।। ©MSW Sunil Saini CENA"

 एकला लाचार मजबूर कद किसने के कहवै सै,
राम बी देख कै बस आंख मूंद लेवै सै।
दस्तूर बी वक़्त का कितना अजीब सै,
थोड़ा बहोत दे कै बहोत कुछ छीण लेवै सै।।

©MSW Sunil Saini CENA

एकला लाचार मजबूर कद किसने के कहवै सै, राम बी देख कै बस आंख मूंद लेवै सै। दस्तूर बी वक़्त का कितना अजीब सै, थोड़ा बहोत दे कै बहोत कुछ छीण लेवै सै।। ©MSW Sunil Saini CENA

#raindrops एकला लाचार मजबूर कद किसने के कहवै सै,
राम बी देख कै बस आंख मूंद लेवै सै।
दस्तूर बी वक़्त का कितना अजीब सै,
थोड़ा बहोत दे कै बहोत कुछ छीण लेवै सै।।

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