कभी हक़ीक़त के बाब रखो। कभी निगाहों में ख्वाब रखो। | English Shayari V

"कभी हक़ीक़त के बाब रखो। कभी निगाहों में ख्वाब रखो। ज़मीं के बंदे बनो तो बेहतर। क़दम ज़मीं पे जनाब रखो। किताब पढ़ना भी ठीक है पर। कभी तो इनमें गुलाब रखो। ज़रा निगाहों को भी पढ़ो अब। चलो उठाओ किताब रखो। ©Sunil Répswal "

कभी हक़ीक़त के बाब रखो। कभी निगाहों में ख्वाब रखो। ज़मीं के बंदे बनो तो बेहतर। क़दम ज़मीं पे जनाब रखो। किताब पढ़ना भी ठीक है पर। कभी तो इनमें गुलाब रखो। ज़रा निगाहों को भी पढ़ो अब। चलो उठाओ किताब रखो। ©Sunil Répswal

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