न मिला था,अब मिलेगा हमको रोज़गार अब इसकी आस नहीं।

"न मिला था,अब मिलेगा हमको रोज़गार अब इसकी आस नहीं। इनकी पोटली में सिर्फ़ वादे हैं रोज़गार देने का प्रयास नहीं।। माँगते हैं रोज़गार तो मिलती हैं अनगिनत लाठियाँ। ज़िंदा है लोकतंत्र इस बात पर संशय है हमें विश्वास नहीं।। अभिनेताओं की छींक भी बटोरती हैं बड़ी सुर्ख़ियाँ साहब। मर जायें हम या लुटे हमारी बेटियाँ ये बात तो ख़ास नहीं।। ©ब्राह्मण आशीष उपाध्याय"

 न मिला था,अब मिलेगा हमको रोज़गार अब इसकी आस नहीं।
इनकी पोटली में सिर्फ़ वादे हैं रोज़गार देने का प्रयास नहीं।।
माँगते हैं रोज़गार तो मिलती हैं अनगिनत लाठियाँ।
ज़िंदा है लोकतंत्र इस बात पर संशय है हमें विश्वास नहीं।।
अभिनेताओं की छींक भी बटोरती हैं बड़ी सुर्ख़ियाँ साहब।
मर जायें हम या लुटे हमारी बेटियाँ ये बात तो ख़ास नहीं।।

©ब्राह्मण आशीष उपाध्याय

न मिला था,अब मिलेगा हमको रोज़गार अब इसकी आस नहीं। इनकी पोटली में सिर्फ़ वादे हैं रोज़गार देने का प्रयास नहीं।। माँगते हैं रोज़गार तो मिलती हैं अनगिनत लाठियाँ। ज़िंदा है लोकतंत्र इस बात पर संशय है हमें विश्वास नहीं।। अभिनेताओं की छींक भी बटोरती हैं बड़ी सुर्ख़ियाँ साहब। मर जायें हम या लुटे हमारी बेटियाँ ये बात तो ख़ास नहीं।। ©ब्राह्मण आशीष उपाध्याय

न मिला था,अब मिलेगा हमको रोज़गार अब इसकी आस नहीं।
इनकी पोटली में सिर्फ़ वादे हैं रोज़गार देने का प्रयास नहीं।।
माँगते हैं रोज़गार तो मिलती हैं अनगिनत लाठियाँ।
ज़िंदा है लोकतंत्र इस बात पर संशय है हमें विश्वास नहीं।।
अभिनेताओं की छींक भी बटोरती हैं बड़ी सुर्ख़ियाँ साहब।
मर जायें हम या लुटे हमारी बेटियाँ ये बात तो ख़ास नहीं।।

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