जीत के जहान को भी मैंने ये बाजी हारी है, मैंने उसक | हिंदी Poetry

"जीत के जहान को भी मैंने ये बाजी हारी है, मैंने उसकी खुशी के लिए अपनी सारी खुशियां वारी है।। मंजूर नहीं मुझे ऐसी जीत भी जिसमे खुशी नहीं मेरी प्रीत की, मै हार कर भी जीत गई जैसे योद्धा वीरगती।। अमर हो गई आज ये कहानी भी जहा प्रेम हो पर कोई प्रेम कहानी नहीं, रच रही इतिहास नई पर कोई लेला मजनू नहीं।। लिखी गई या लिखी जा रही किसी कवियित्री की जिंदगानी यहीं, हार कर भी जीत गई वो हर बाजी जिसकी कल्पना में कोई स्वार्थ नहीं।। ©Akshita yadav"

 जीत के जहान को भी
मैंने ये बाजी हारी है,
मैंने उसकी खुशी के लिए
अपनी सारी खुशियां वारी है।।

मंजूर नहीं मुझे ऐसी जीत भी
जिसमे खुशी नहीं मेरी प्रीत की,
मै हार कर भी जीत गई
जैसे योद्धा वीरगती।।

अमर हो गई आज ये कहानी भी
जहा प्रेम हो पर कोई प्रेम कहानी नहीं,
रच रही इतिहास नई
पर कोई लेला मजनू नहीं।।

लिखी गई या लिखी जा रही
किसी कवियित्री की जिंदगानी यहीं,
हार कर भी जीत गई वो हर बाजी 
जिसकी कल्पना में कोई स्वार्थ नहीं।।

©Akshita yadav

जीत के जहान को भी मैंने ये बाजी हारी है, मैंने उसकी खुशी के लिए अपनी सारी खुशियां वारी है।। मंजूर नहीं मुझे ऐसी जीत भी जिसमे खुशी नहीं मेरी प्रीत की, मै हार कर भी जीत गई जैसे योद्धा वीरगती।। अमर हो गई आज ये कहानी भी जहा प्रेम हो पर कोई प्रेम कहानी नहीं, रच रही इतिहास नई पर कोई लेला मजनू नहीं।। लिखी गई या लिखी जा रही किसी कवियित्री की जिंदगानी यहीं, हार कर भी जीत गई वो हर बाजी जिसकी कल्पना में कोई स्वार्थ नहीं।। ©Akshita yadav

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